स्टोन क्रशर चालकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं , याचिका खारिज

No relief for stone crusher operators

हरिद्वार। सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार के स्टोन क्रशर मालिकों की याचिका खारिज करते हुए क्रेशर मालिकों को करारा झटका दिया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी आर गवई और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने सभी तथ्यों एवं तर्कों को सुनने के पश्चात् स्टोन क्रेशरों की याचिका को कोई महत्व नहीं दिया और उनकी विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी।

बताते चलें कि बीते जुलाई माह में उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार जनपद के 48 स्टोन क्रेशरों के संचालन पर ना केवल रोक लगाने का आदेश दिया गया था बल्कि बिजली और पानी के कनेक्शन काटने का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में जिला प्रशासन ने सभी क्रेशर के बिजली और पानी के कनेक्शन भी काट दिए थे।

हाईकोर्ट के आदेश आदेश के खिलाफ 48 में से 33 स्टोन क्रेशर मालिकों ने अन्य कई क्रेशरों के साथ मिलकर, उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी। स्टोन क्रेशर मालिकों ने अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी के माध्यम से न्यायालय से राहत पाने की पुरजोर कोशिश की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिल पाई।

उत्तराखण्ड सरकार का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने रखा। जब स्टोन क्रेशरों की ओर से दलीलें देकर न्यायालय को प्रभावित करने का प्रयास किया गया, तो मातृसदन ने उन दलीलों का पुरजोर विरोध किया। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई तथा न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने सभी तथ्यों एवं तर्कों को सुनने के पश्चात् स्टोन क्रेशरों की याचिका को कोई महत्व नहीं देते हुए विशेष अनुमति याचिका ख़ारिज कर दी है।

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