उत्तराखंड व राजस्थान पर्यटन के बढ़ावे को मिलकर करेंगे काम : महाराज

उत्तराखंड व राजस्थान पर्यटन के बढ़ावे को मिलकर करेंगे काम : महाराज



देहरादून/जयपुर। तीज का पवित्र पर्व मां पार्वती की 108 जन्मों की घोर तपस्या के बाद शिव को पति के रूप में पाने का साक्षी है। यह त्योहार पति पत्नी के एकत्व, दिव्य समर्पण का सर्वाेच्च प्रतीक है। राजस्थान की तरह ही उत्तराखंड में भी तीज़ के त्योहार का विशेष महत्व है।

मान्यता है कि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद स्थित त्रिजुगीनारायण में माता पार्वती एवं भगवान शिव शंकर का विवाह हुआ था जिसमें ब्रह्मा जी ने पुरोहित का तथा भगवान श्री हरि विष्णु जी ने भाई का दायित्व निभाया था। इसलिए महिलाएं पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख की कामना के लिए तीज के त्योहार को मनाती हैं।

यह बात उत्तराखण्ड के पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने पर्यटन विभाग, राजस्थान सरकार की और से सोमवार को जयपुर स्थित पौंड्रिक पार्क में आयोजित दो दिवसीय तीज महोत्सव में प्रतिभाग करते हुए अपने संबोधन में कही। उन्होंने कहा कि राजस्थान में यह त्यौहार 298 वर्षों से हर वर्ष हर्षाेल्लास के साथ मनाया जा रहा है और जयपुर स्थापना के समय से ही भव्य तीज के इस त्यौहार पर तीज माता की शोभा यात्रा भी निकाली जाती है।

इस त्यौहार की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस त्यौहार को मनाने के लिए स्वयं राजस्थान सरकार का पर्यटन विभाग इस आयोजन को सम्पन्न कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। महाराज ने कहा कि उत्तराखंड एवं राजस्थान के बीच काफी गहरा संबंध रहा है।

हम दोनों राज्यों के बीच पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए संयुक्त योजना बना कर काम करेंगे। तीज महोत्सव के इस कार्यक्रम में राजस्थान सरकार की उप मुख्यमंत्री एवं पर्यटन मंत्री दिया कुमारी, उत्तराखंड की पूर्व कैबिनेट मंत्री अमृता रावत सहित राजस्थान पर्यटन विभाग के अनेक अधिकारी, लोक कलाकार, शिल्पी और महिलाएं आदि मौजूद थी।







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