छात्रों का चरित्र निर्माण ही शिक्षा का मूल उद्देश्य : डॉ. अतुल कृष्ण

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देहरादून। राष्ट्रीय शिक्षक दिवस एवं स्व. डॉ. कृष्ण कुमार भटनागर स्मृति में “राष्ट्रीय चरित्र निर्माण संगोष्ठी एवं शिक्षक सम्मान समारोह” का भव्य आयोजन गौतम बुद्ध चिकित्सा महाविद्यालय में हुआ। कार्यक्रम में मंत्री, विधायक, शिक्षाविद् एवं सामाजिक क्षेत्र के अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।

मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बैकुंठ राधिका छात्रावास का उद्घाटन किया, विशेष अतिथि डॉ. सुनैना रावत (राज्य अधिकारी, NSS) ने जिया रानी बालिका छात्रावास का उद्घाटन किया तथा विशिष्ट अतिथि विधायक मुन्‍ना सिंह चौहान ने लेफ्टिनेंट ज्ञान सिंह बिष्ट छात्रावास व विधायक सहदेव सिंह पुंडीर ने नानक निवास का उद्घाटन किया।

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कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। तत्पश्चात सुभारती शिक्षा समूह के संस्थापक डॉ. अतुल कृष्ण एवं कुलपति प्रो. डॉ. हिमांशु ऐरन ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। रजिस्ट्रार खालिद हसन ने विशेष अतिथि सुनैना रावत, एडमिनिस्ट्रेटर रवींद्र प्रताप ने दुष्यंत गोयल, तथा मेजर जनरल डॉ. जी.के. थपलियाल और प्रिसिपल अनिल मेहता ने विशिष्ट अतिथि मुन्ना सिंह चौहान का सम्मान किया।

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इसी क्रम में मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. राहुल शुक्ला, सहायक परियोजना निदेशक डॉ. लोकेश त्यागी, प्रिंसिपल डॉ. अनिल मेहता, और डॉ. रितेश श्रीवास्तव ने भी अतिथियों का सम्मान किया। स्वागत संबोधन डॉ प्रशांत भटनागर (प्रमुख प्रचार विभाग) ने किया। मेजर जनरल डॉ. जी.के. थपलियाल ने मंच से सुभारती शिक्षा समूह के उस प्रस्ताव को पढ़ा, जिसमें धराली (उत्तराखंड) आपदा पीड़ितों के बच्चों को निःशुल्क एवं अल्प शुल्क पर शिक्षा देने की घोषणा की गई। फिर प्रस्ताव की प्रति न्यासी यशवर्धन जी एवं डॉ हिमांशु ऐरन ने संयुक्त रूप से मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री उत्तराखंड डॉ. धन सिंह रावत को सौंपी।

डॉ. धन सिंह रावत ने इस पहल के लिए समूह संस्थापक डॉ. अतुल कृष्ण का आभार व्यक्त किया और कहा कि “शिक्षक ही राष्ट्र निर्माण की आधारशिला हैं।” अपने उद्बोधन में उन्होंने आपदा प्रभावित परिवारों की उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य शिविरों, रक्तदान शिविरों और आयुष्मान कार्ड जैसी योजनाओं को जनकल्याण का आधार बताया।

उन्होंने कहा कि देश को हर वर्ष हजारों डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी चाहिए, जबकि उत्तराखंड में अभी 15,000 डॉक्टरों की कमी है। साथ ही उन्होंने मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग कोर्स हेतु विदेशी भाषा शिक्षण पर भी बल दिया और सरकार से अपेक्षित सहयोग का आश्वासन दिया। स्व. डॉ. कृष्ण कुमार भटनागर को स्मरण करते हुए उनके पुत्र आलोक भटनागर ने उन्हें महान शिक्षक, खेल प्रेमी और समाजसेवी बताया तथा कहा कि “वे शिक्षा, खेल, संस्कृति और राष्ट्रप्रेम के अद्वितीय संगम थे।”

डॉ. अतुल कृष्ण ने कहा कि “शिक्षक का कार्य केवल परंपरागत शिक्षा देने तक ही सीमित नहीं है, उन्हें विद्यार्थियों के राष्ट्रीय चरित्र का भी निर्माण करना चाहिए।” उन्होंने वीरांगना नीरजा भनोट के बलिदान को भारतीय चरित्र का प्रतीक बताया और कहा कि छात्रों का चरित्र निर्माण ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है। इसी भावना से विश्वविद्यालय की इमारतों का नाम क्रांतिकारियों व राष्ट्रवादियों के नाम पर रखा गया है।

उन्होंने आज़ाद हिंद फ़ौज को नमन करते हुए लेफ्टिनेंट ज्ञान सिंह बिष्ट, डॉ. कादंबिनी गांगुली व डॉ. राधिका वैकुण्ठ जैसी विभूतियों को राष्ट्र सेवा की प्रेरणा बताया। सुश्री सुनैना रावत ने कहा कि “पिता और गुरु ही ऐसे संबंध हैं जो अपने शिष्य से हारकर गर्व महसूस करते हैं।” उन्होंने गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों के बलिदान को राष्ट्रीय चरित्र की पराकाष्ठा बताया और कहा कि NSS का मूल मंत्र “स्वयं से पहले आप” ही राष्ट्रीय चरित्र की नींव है। उन्होंने रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय हेतु स्वतंत्र एनएसएस यूनिट स्थापना की घोषणा भी की।

विधायक मुन्‍ना सिंह चौहान ने कहा कि समाज ज्ञान का शाश्वत स्रोत है और भारत की शिक्षा प्रणाली अंग्रेजों से पहले विश्व की सर्वोत्तम थी। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों के आगमन से पहले शिक्षा एवं अर्थ दोनों में ही भारत एक मजबूत ताक़त थी, उन्होंने भारत की वैज्ञानिक विरासत को समझाया व ऋग्वेद में उल्लिखित गणराज्य का उल्लेख करते हुए कहा कि “भारत ही वास्तविक लोकतंत्र का जनक है।”

उन्होंने वीर सावरकर के साहस, स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष और डॉ. अतुल कृष्ण के मानवीय सेवा भाव को रेखांकित किया। अंत में उन्होंने उत्तराखंड को देश का सिरमौर बनाने और प्रकृति-पर्यावरण की पूजा को भारत की असली पहचान बताया। कार्यक्रम में। सुभारती शिक्षा समूह द्वारा सम्मान पाने वाले सदस्य रहे :–

प्रो. डॉ. रामकरण सिंह, कुलपति, डॉ. सोनिया, डॉ. जितेन्द्र कुमार, डॉ. राजेश तिवारी (नेत्र विशेषज्ञ), डॉ. बबिता, डॉ. अर्जुन कोहली, सुभाष भट्ट, श्रीमती रेखा, सुभाष चंद्र पुरोहित, कुलदीप, डॉ. संजय अग्रवाल, श्रीमती बबिता देवी, डॉ. शिल्पा, डॉ. रवीन्द्र कुमार सैनी, डॉ. राकेश काला, डॉ. जगदीश पांडे आदि।

अंत में प्रो. डॉ. हिमांशु ऐरन, कुलपति रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने डॉ. अतुल कृष्ण को शिक्षा के साथ साथ राष्ट्रीय चरित्र निर्माण करने के लिए विशेष श्रेय दिया। साथ ही डॉ. धन सिंह रावत एवं मुन्ना सिंह चौहान को धन्यवाद ज्ञापित किया जबकि डॉ सुनैना का आभार जताया कि उन्होंने सुभारती विश्वविद्यालय को NSS की स्वतंत्र इकाई प्रदान की और कहा कि भविष्य में MBBS कॉलेज में भी NSS यूनिट प्रारंभ की जाएगी।

उन्होंने पूर्व कुलपति, मेजर जनरल असवाल, न्यासी यशवर्धन तथा आयोजन समिति – विश्वविद्यालय टीम का आभार व्यक्त किया। अपने उद्बोधन के समापन पर उन्होंने कहा –”भारत विश्वगुरु था और रहेगा। यही हमारी परंपरा है, यही हमारी पहचान है।”

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