धराली से लौटकर पीसीसी अध्यक्ष ने उठाए कई सवाल

PCC president raised many questions

देहरादून। उत्तरकाशी के आपदा प्रभावित धराली-हर्षिल से लौटकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करना माहरा ने रविवार को मीडिया से वार्ता करते हुए पीड़ित परिवारों के दुःख दर्द को साझा करने के साथ-साथ सरकार पर कई सवाल दागे, कहा कि धराली में पानी और खाने की व्यवस्था नहीं की गई। लोग विस्थापित होने की मांग कर रहे हैं।

भारी संख्या में मजदूर लापता हैं। 37 होटल और होम तबाह हो गये है, वहा रूके श्रद्धालुओं और मजदूरों की सूची जारी की जानी चाहिए। माहरा ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की और से लगाए गये आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि, मैं पैदल चल रहा था, भट्ट पंचायत चुनाव के लिये खरीद-फरोख्त में व्यस्त थे।

रविवार को राजीव भवन में पत्रकारों से वार्ता करते हुए माहरा ने कहा कि दो दिन तक प्रशासन ने मुझे लैम्चागाड़ से आगे नहीं बढ़ने दिया। सिर्फ़ मुझे ही नहीं, बल्कि उन जुझारू पत्रकारों को भी रोक दिया, जो सच दिखाने का साहस रखते हैं। ये सिर्फ़ मुझे रोकने की बात नहीं थी, ये उस सच्चाई को दबाने की कोशिश थी, जिसे अगर पहले दिन से पूरी दुनिया जान लेती, तो शायद कई ज़िंदगियाँ बच सकती थीं।

कहा कि सीएम अकेले दिखाई दे रहे है, पूरी कैबिनेट कहा हैं। सरकार वहा उपयोग हो रहे फोन नम्बरों की जांच से भी प्रभावितों की संख्या पता कर सकती है। एक सवाल के जवाब में कहा कि जन हानी का आंकलन करना मुश्किल है, वहा हर तरफ तबाही का मुजर है, 250 करोड से अधिक के नुकसान का अंदेशा है, स्थानीय लोगों ने बीमा आदि भी नही कराया हुआ है।

माहरा ने कि प्रशासन ने वहा जाने में देरी की। कह कि आपदा 1ः30 के आस-पास आई रास्ता शाम छह बजे के बाद बंद हुआ, अगर प्रशासन चाहता तो जल्द निर्णय ले कर वहा पहुंच सकता था। उन्होने पहाड़ में युवा अफसरों को तैनात करने की मांग उठाई। इस मौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, सैनिक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष राम रतन नेगी, सुजाता पॉल, नवीन जोशी, शिशपाल बिष्ट व पंकज क्षेत्री आदि मौजूद रहे।

माहरा ने कहा कि 2013 के बाद कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में असी गंगा व सावरीगाड में वेली ब्रिज बनाया गया था, जो आज तक पक्का नही किया गया।

देहरादून। माहरा ने कहा कि भटवाड़ी और उत्तरकाशी में आपदा पीड़ितों के परिजनों को भी रोक दिया गया। सोचिए, जिनके अपने मलबे में दबे हैं, जो यह भी नहीं जानते कि उनके परिवार के लोग ज़िंदा हैं या नहीं, उन्हें अपने ही लोगों को देखने से, ढांढस बंधाने से रोक दिया गया। क्या इससे बड़ा अमानवीय व्यवहार हो सकता है?

देहरादून। माहरा ने कहा कि कुछ दिन पूर्व पीएम मोदी मुख्बा आये थे, कई वादे किये थे, कोई भी वादा पुरा नही हुआ तो जनता ने वहा पंचायत चुनाव का बहिष्कार किया। आपदा के बाद भी स्थानीय विधायक पांच-पांच हजार के चैक लेकर पहुंचे तो लोगों ने विरोध किया, कहा कि आपदा प्रभावित क्षेत्र में कोन सा बैंक खुला है, जहा से पैसा मिलेगा।

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