देहरादून। चिटफंड कंपनी एलयूसीसी के घोटाले में 17 सितंबर को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सुनवाई हुई। चिटफंड कंपनी पर आरोप है कि वो प्रदेश के लोगों का करीब 800 करोड़ रुपए लेकर फरार हो गई है। इस मामले की जांच सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) करने की मांग को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ती आशीष नैथानी की खंडपीठ ने मामले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दे दिए हैं। साथ मे कोर्ट ने यह भी कहा है कि जिन लोगों का पैसा लेकर कंपनी फरार हो चुकी है, वे लोग अपनी शिकायत सीबीआई को दें।
बुधवार को हुई सुनवाई पर सीबीआई की तरफ से कहा गया कि पूर्व में जब जनहित याचिका पर सुनवाई हुई थी, तब कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि क्या सीबीआई इस मामले की जांच कर सकती है। उनके द्वारा कोर्ट को अवगत कराया गया कि सीबीआई की तरफ से इस मामले की जांच करने की अनुमति मिल चुकी है। उनके द्वारा स्वीकृत पत्र कोर्ट में पेश किया गया।
वहीं जांच कर रही राज्य पुलिस की तरफ से कहा गया कि अभी तक कई मामले दर्ज हो चुके है। अन्य की जांच चल रही. इसका विरोध करते हुए 27 पीड़ितों की तरफ से कहा गया कि पुलिस ने अभी तक उनका मुकदमा दर्ज ही नहीं किया। जब तक मुकदमा दर्ज नहीं होगा तब तक उनका डूबा हुआ पैसा वापस नहीं मिलेगा, जिस पर कोर्ट ने उनसे कहा कि वे अपनी शिकायत सीबीआई को दें।
साथ में पैसे देने के प्रमाण पत्र भी उस शिकायत में संलग्न करें। इस मामले में देहरादून और ऋषिकेश सहित कई पीड़ितों की तरफ से जनहित व एक अन्य याचिका दायर की गई थी,. जिसमे कहा गया कि इस मामले की सीबीआई से जांच कराई जाय। मामले के अनुसार ऋषिकेश निवासी आशुतोष व अन्य ने जनहित याचिका व अन्य लोगों के माध्यम से दायर मामलों पर सुनवाई की।
जिसमे कहा गया है कि स्न्ब्ब् नाम की एक चिटफंड कंपनी ने साल 2021 में प्रदेश के कई जिलों के लोगों को कई तरह के लाभ देने के उद्देश्य से अपना ऑफिस देहरादून, ऋषिकेश सहित पौड़ी में खुलवाए। उसके बाद स्थानीय लोगों को अपना एजेंट नियुक्त किया। एजेंटों ने अपने करीबियों से कहा कि वे इस कंपनी में निवेश करें।
लोगों ने सहानुभूति दिखाकर निवेश भी किया, जबकि राज्य में कंपनी ने सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत अपना पंजीकरण तक नहीं कराया था। साल 2023-24 में यह कम्पनी अपने ऑफिस बंद करके चली गई। निवेशकों की शिकायत पर उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों में भी इस कंपनी के खिलाफ 56 मुकदमे दर्ज हुए, लेकिन पता चला कि मुख्य आरोपी दुबई भाग गया है।
अब निवेशक एजेंटों को परेशान कर रहे है। पुलिस भी उन्हें ही परेशान कर रही है। बुधवार को मामले की जांच कर रहे आईओ (इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर) भी कोर्ट में पेश भी हुए। जनहित याचिका में कहा गया कि अगर राज्य सरकार के भीतर कोई बाहरी कंपनी बिना रजिस्ट्रेशन के कार्य कर रही है तो सोसाइटी के सदस्य सोए हुए थे या राज्य सरकार. इसकी जांच कराई जाय।